Monday 4 June 2012

हा बहस होनी चाहीये पर पीछ्ली बहस का क्या ?

 होनी चाहीये बहस जरुर हा जरुर होनी चाहीये बहस एक कीसान पर , कीसान की मौत पर , सीमा पर सीपाही की  हालत पर , आतंकवाद से लडते मरते सीपाही पर , हा संसद मे  लड्ते नेताओ  की सोच पर , दल और गुटो मे बटे नेताओ  पर , कीसी क्रीकेट खीलाडी के पाव की मोच पर , रीश्वत लेते अधीकारी पर , काम से जी चुराते कर्मचारी पर , व्यपार मे मरते व्यपारी पर बहस होनी ही चाहीये ।लींग आनुपात मे बडती खाई पर , कोख मे मरती माई पर   बलातकारी भाई पर , राजनीती की डाई पर बहस होनी ही चाहीये । पाकीस्तान और अपने रीश्ते पर , दोनो देशो के नक्शे पर ,चीन की गुंडागर्दी पर , सेना की वर्दी पर होनी ही चाहीये बहस। मा की ममता पर , समाजो की क्षमता पर , ममता के गुस्से पर  बहस होनी ही चाहीये । प्यासे मरते खेतो पर , हस्पतालो मे मरते बच्चो पर , बड्ता वजन बस्तो पर  बहस का वीषय ही है । गीरते उत्पादन पर रुपये की हालत पर , साधु संतो की  राजनीती पर , अन्ना ह्जारे , और बाबा की हालत पर उनके आन्दोलन पर बहस जरुरी है । सी.बी. आई की स्वत्ंत्रता पर ,देश की अख्णता पर , जाती वादी जनसख्या की गणना पर बहस आवश्यक  है । जरुरी है हर बहस बहुत जरुरी है भाई पर हो आगे कोई नई  बहस उस्के पहले पीछ्ली बहस क हीसाब होना चाहीये ............. नही है कोई हीसाब पीछ्ली बहस का तो नई बहस औचीत्य हीन होगी , हो अगर फीर भी बहस तो  बहसो के हीसाब पर  फीर एक बहस जरुरी हो .......................पर हो बहस जरुर हो 

3 comments:

  1. सीधी बात - नो बकवास .. बेहतरीन विचार

    ReplyDelete
  2. Classic Bahas Hai Bhaiya..............

    ReplyDelete
  3. इस बहस के नाम पर आपने मौजुदा व्यव्स्था पर करारी चोट लगायी है....बहरहाल हमें इस सार्थक बहस की शुरूवात का बेसब्री से ईंतेज़ार है.....

    ReplyDelete