Sunday 6 May 2012

बेनकाब

हम जब म, प्र के हीस्से के छतिसगड मे थे तो हम को कई सुवीधाए नही मील पाती थी । जैसे  बीजली , सडके, स्वास्थ सेवाये, और न्याय के लीये  लम्बे समय तक इंतजार करना पड्ता था । पर छतिसगड निर्माण के साथ ही हमको वीकास की जैसी गगोत्री मील गई हो । पर साथ ही हमको नक्सल वाद जैसा नासुर मीला जीस्के समाधान के लीये कई सीपाही , अधीकारी , कर्मचारी , व्यपारी, आम नागरिक अपनी कुर्बानी भी देते रहै है , पर मुझे न जाने क्यो एसा लगता है की ये समस्या कही न कही केन्द्र से आने वाले अनाप शनाप पैसे से सम्बन्धीत  भी है । क्यो की समस्या नही होगी तो केन्द्र से पैसा नही आये गा और अगर समस्या समाप्त हो गई तो पैसा आना बन्द हो जायेगा । इन सब बातो के बीच  व्यवस्था से नाराज युवा कुछ वीद्रोही जैसा व्यवाहार कर रहे है और अवसरवादी नेता, अधीकारी और असमाजीक तत्वो ने एसे युवाओ को नक्साल वाद जैसा दीखा कर केन्द्र से आने वाली नक्स्ल उनमुल्न की राशी का दोहन करते रहना चाह्ते है । जब की व्यवस्था से नाराज युवाओ को केन्द्र से आने वाली नक्सल उनमुल्न की राशी मे से केवल  10 % की राशी उन्की मर्जी से उन्के छेत्रो मे वीकास हेतु  खर्च करने  के लीये उपलब्ध करा दी जाये तो न केवल नक्सलवाद पर काबु पाया जा सक्ता है बल्की करोडो की राशी भ्रश्ट नेता , अधीकारी, और असमाजीक तत्वो को बे नकाब भी कीया जा सक्ता है ।





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