Thursday 17 May 2012

सरकार की नीयत और नीती दोनो गलत ................

छतिसगड की आबकारी नीती और वर्तमान मे सरकार दवारा चलाये जा रहे आशींकं नशाबन्दी कार्यक्रम मे वीरोधाभास है । 2011-2012 , 2012-2013 के वीतीय वर्ष मे जाहा सरकार  आशीकं नशा बन्दी की बात कर कई शराब दुकानो को बन्द कर आम जनता की वाह्वाही लुट रही ठीक वही शेष बची दुकानो मे वर्ष 20011-2012 और 2012-2013 बेची जाने वाली वो मात्रा भी जोड दी जो इन वितिय वर्षो मे बन्द की जाने वाली दुकानो पर विक्रय की जानी  थी । अर्थात दुकानो के बन्द होने से वो मात्रा जो घट जानी चाहीये थी। उल्टा वो मात्रा और विक्रय मात्रा जोड कर 25 से 30 %  और जोड कर कुल विक्रय होने वाली मात्रा त्यार की गई जब्की इस मात्रा को बेचे जाने के लीये निर्धारीत वीक्रय छेत्र को घटा दीया गया था । इस प्रकार शासन दवारा अप्ना राजस्व न केवल पुरा कीया गया बल्की इन वितीय वर्षो मे दुकानो के घट जाने की वजह से जो राजस्व घट जाना चाहीये था ।     { जैसे सरकार प्रचार कर रही है }  और इस प्रकार आशीकं नशा बन्दी केवल दीखावे के लीये ही है जबकी राजस्व पुरा कीया जा राहा है । केवल इस व्यवसाय से जुडे लोगों को परेशान कर शासन आम लोगों के नागरीक  समांता  के अधीकारो का खुला उलघ्न कर रही है क्यो की सरकार कोन होती है ये तय करने वाली  की फ्ला गांव का आदमी शराब पीये और इस गांव का आदमी शराब नही पीये गा इस लीये इस गांव की शराब दुकान बन्द कर दो .................. कानुन भी सरकार एसा नही कर सक्ती और वास्तव मे सरकार नशा बन्दी चाहाती है तो पुरे प्रदेश मे सारी जगहो की शराब दुकानो को एक साथ बन्द कर राजस्व का लालच छोड दे सरकार  या फीर सालो से इस व्यवसाय को कर रहै लोगों को अप्ना व्यवसाय को बीना भय या अनावश्यक राजनीतीक लाभ की आशा मे  सुचारु रखने दे । 

2 comments:

  1. सरकार की कथनी और करनी का फर्क़ ख़ासतौर से इनकी कथित शराब बंदी कार्यक्रम में साफ नज़र आता है...सरकार बक़ायदा घी खा रही है बस खाते वक़्त कम्बल ओढ़ रखा है.....

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  2. सब गोलमाल है भई सब गोलमाल है...

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